Guest Post by Varun Dixit
उसने कहा खेल था वह प्यार जवानी का, कोई पूछे क्या हुआ उस राधा-कृष्ण की प्रेम-कहानी का?
उसने कहा वह सब कसमें वादे झूठे थे, कोई उनसे पूछे उन आंसुओं का क्या जब वह हमसे रूठे थे?
उनका सर रख कर मेरी गोद में सो जाना भी क्या झूठा था ?
क्या झूठा था उनका मेरे सर पे हाथ फिरा के मुझको समझना?
क्या झूठा था बात-बात हमको उनका साजन कह जाना, जब हम जाते तो क्या झूठा उनका वह सिसकी भर के रह जाना?
क्या झूठे थे वह सपने जो हमने साथ में देखे थे, क्या झूठे थे वह प्रेम पत्र जो उसने हम को भेजे थे?
क्या यूँ ही झूठा था उनका हम से गुस्सा हो जाना, क्या झूठा था वह हमारी यादों में उनका खो जाना?
क्या झूठा थे सपनो का ताज-महल जो हमने उनके लिए बनाया था?
क्या झूठा था वह पहला खाना जो उन्होंने हमारे लिए बनाया था?
क्या झूठे थे वह इंतज़ार के पल जो हमने उनकी याद में बिताए थे.. क्या झूठे थे वह प्रेमहार जो मन ही मन हमने उनको पहनाए थे?
क्या झूठे थे वह प्यार से खेल जो हम साथ में खेला करते थे, वह गुलाब की हर पट्टी पे तुम्हारा नाम लिख हवा में फेंका करते थे?
क्या यूँ ही झूठा था वह तुम्हारा मुझको गृहिणी बनकर दिखलाना.. वह मेरे कहने पर साड़ी पहनकर तुम्हारा यूँ मिलने आना?
क्या झूठा था वह यकीन जो मेरे माथे पे तुम्हारा लबों के रखे तुम मुझे दिलाती थी.. हर बार जब भी मैं गुस्सा तुम मेरे चेहरे वह मुस्कान ले आती थी?
वह तुम्हारा मेरे खुशियों में खुश होजाना.. वह मेरे आंसू निकलने से पहले तुम्हारा रो जाना
वह मेरे मन की बात समझ तुम्हारा चुपके से आके मुझको आगोश में भर लेना.. मेरे कुछ बोलने से पहले ही तुम्हारा वह ऊँगली रखके मुझको चुप कर देना..?
वह तुम्हारा रोज़ यूँ मुझसे मिलने आना.. जाने की ज़िद करना.. फिर छोड़ कर हमको न जा पाना..?
वह ढलते सूरज को देख तुम्हारा मेरी बाँहों में यूँ पिघल जाना.. फिर ज़रा सी आहट से तुम्हारा सम्हल जाना.?
वह मेरे छूते ही तुम्हारे रोम रोम का यूँ थिरक जाना.. कहना बहुत बुरे हो तुम.. फिर मेरे गले से लिपट जाना.?
अगर वह झूठा था..तो फिर झूठा होगा मीरा के प्रेम राग..?
झूठा होगा वह हीर का यूँ राँझा हो जाना..वह सोहनी का रोज साजन से मिलने जाना और एक रात यूँ ही उस नदी में खो जाना..?
झूठे होंगे वह राधा कृष्ण के महारास..वह गोपियों का प्रेम योग और वह उद्धव को ज्ञान प्रकाश..?
झूठे हो जायेंगे वह सूर्य के छन्द, वह कबीर के दोहे, वह रास खान की बातें..?
मगर क्या यूँ ही सब कुछ एक पल में झूठा हो जाया करता है.. जिसको धड़कन बना के रखते है वह एक पल में यूँ ही खो जाया करता है..?
एक आखिर बार पूछता हूँ तुमसे क्या सच में खेल था वह प्यार जवानी का?
उसने कहा खेल था वह प्यार जवानी का, कोई पूछे क्या हुआ उस राधा-कृष्ण की प्रेम-कहानी का?
उसने कहा वह सब कसमें वादे झूठे थे, कोई उनसे पूछे उन आंसुओं का क्या जब वह हमसे रूठे थे?
उनका सर रख कर मेरी गोद में सो जाना भी क्या झूठा था ?
क्या झूठा था उनका मेरे सर पे हाथ फिरा के मुझको समझना?
क्या झूठा था बात-बात हमको उनका साजन कह जाना, जब हम जाते तो क्या झूठा उनका वह सिसकी भर के रह जाना?
क्या झूठे थे वह सपने जो हमने साथ में देखे थे, क्या झूठे थे वह प्रेम पत्र जो उसने हम को भेजे थे?
क्या यूँ ही झूठा था उनका हम से गुस्सा हो जाना, क्या झूठा था वह हमारी यादों में उनका खो जाना?
क्या झूठा थे सपनो का ताज-महल जो हमने उनके लिए बनाया था?
क्या झूठा था वह पहला खाना जो उन्होंने हमारे लिए बनाया था?
क्या झूठे थे वह इंतज़ार के पल जो हमने उनकी याद में बिताए थे.. क्या झूठे थे वह प्रेमहार जो मन ही मन हमने उनको पहनाए थे?
क्या झूठे थे वह प्यार से खेल जो हम साथ में खेला करते थे, वह गुलाब की हर पट्टी पे तुम्हारा नाम लिख हवा में फेंका करते थे?
क्या यूँ ही झूठा था वह तुम्हारा मुझको गृहिणी बनकर दिखलाना.. वह मेरे कहने पर साड़ी पहनकर तुम्हारा यूँ मिलने आना?
क्या झूठा था वह यकीन जो मेरे माथे पे तुम्हारा लबों के रखे तुम मुझे दिलाती थी.. हर बार जब भी मैं गुस्सा तुम मेरे चेहरे वह मुस्कान ले आती थी?
वह तुम्हारा मेरे खुशियों में खुश होजाना.. वह मेरे आंसू निकलने से पहले तुम्हारा रो जाना
वह मेरे मन की बात समझ तुम्हारा चुपके से आके मुझको आगोश में भर लेना.. मेरे कुछ बोलने से पहले ही तुम्हारा वह ऊँगली रखके मुझको चुप कर देना..?
वह तुम्हारा रोज़ यूँ मुझसे मिलने आना.. जाने की ज़िद करना.. फिर छोड़ कर हमको न जा पाना..?
वह ढलते सूरज को देख तुम्हारा मेरी बाँहों में यूँ पिघल जाना.. फिर ज़रा सी आहट से तुम्हारा सम्हल जाना.?
वह मेरे छूते ही तुम्हारे रोम रोम का यूँ थिरक जाना.. कहना बहुत बुरे हो तुम.. फिर मेरे गले से लिपट जाना.?
अगर वह झूठा था..तो फिर झूठा होगा मीरा के प्रेम राग..?
झूठा होगा वह हीर का यूँ राँझा हो जाना..वह सोहनी का रोज साजन से मिलने जाना और एक रात यूँ ही उस नदी में खो जाना..?
झूठे होंगे वह राधा कृष्ण के महारास..वह गोपियों का प्रेम योग और वह उद्धव को ज्ञान प्रकाश..?
झूठे हो जायेंगे वह सूर्य के छन्द, वह कबीर के दोहे, वह रास खान की बातें..?
मगर क्या यूँ ही सब कुछ एक पल में झूठा हो जाया करता है.. जिसको धड़कन बना के रखते है वह एक पल में यूँ ही खो जाया करता है..?
एक आखिर बार पूछता हूँ तुमसे क्या सच में खेल था वह प्यार जवानी का?